प्यार हुआ चुपके से ( 3 )
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आयान और विशालाक्षी दोनों घर पर आ गए।
"अब बताओंगे भी किस बात की भड़ास निकाल रहे थे तुम?" विशालाक्षी ने घर पहुंचते ही सवाल पूछा।
"कुछ भी नही। बस ऐसे ही गुस्सा आ गया था।" आयान ने बात से बचने की कोशिश करते हुए कहा। वह सोच कर कुछ बोलने ही वाला था कि विशालाक्षी उस से पहले ही बोल पड़ी। "बात को घुमाने की कोशिश मत करो। जो बात है सीधे सीधे बताओ। वैसे भी मै तुम्हारी रगो से अच्छे तरह से वाकिब हूं।"
आयान को अच्छे से मालूम था वह अपनी बहन को बेवकूफ नहीं बना सकता इसलिए उसने सारी उसे बता दी। आयान की पूरी बात सुनकर वह जोर जोर से हंसने लगी। उसे इस तरह से हंसता हुआ देख आयान अजीब सा मुंह बनाते हुए बोला। "इतनी बुरी तरह से क्यों हंस रही हो?"
"मुझे लगा तुमने किसी लड़की को परपोज किया होगा और उसने तेरा थोपड़ा सूजा दिया। पर ये कहानी तो फुल फिल्मी निकली। लड़की ने प्यार के लिए दोस्त को छोड़ा , प्यार पड़ा दोस्ती पर भारी, दो पल की दोस्ती। वाह....वाह क्या टाइटल है .... तुम्हारी इस कहानी का।" विशालाक्षी ने हंसते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी बात पूरी की।
आयान लगातार अपनी बहन की उसकी इन हरकतों की वजह से घूरे ही जा रहा था। उसे इस तरह से घूरता हुआ देख वह उसे नॉर्मल करते हुए बोली। "मुझे पता है अब तुम भी नॉर्मल हो चुके हो...... तुम्हारे ऊपर इन सब का असर कुछ देर तक ही रहता है। गुस्से का भूत जितनी जल्दी सवार होता है वह उतनी जल्दी उतर भी जाता है। रही बात दोस्त की तो मुझे पता है तुम हर रिश्ता पूरी सिद्दत के साथ और दिल से निभाते हो। पर मेरी एक बात हमेशा याद रखना साथ देने वाले हर हाल के साथ देते है और जिसे छोड़कर जाना होता है उसे बस बहाने की जरूरत होती है।"विशालाक्षी ने इतनी सी बात में बहुत कुछ कह दिया था।
विशालाक्षी से भारी भरकम उपदेश सुन आयान भी सामान्य हो गया और उसकी इस फिलोशपी पर जोर जोर से हंसने लगा। थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने कामों में लग गए।
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कुछ देर तक दोनों चुपचाप बैठी रही। आशी अपना काम कर रही थी और शिवी हेडफोन लगाकर गाने सुन रही थी। तभी शिवी की नज़र उसी कंपार्टमेंट में बैठे हुए एक लड़के पर जा कर रुक गई जो काफी देर से आशी को ही घूरे जा रहा था। जब शिवी का ध्यान लड़के पर गया तो वह उसे देखकर आग बबूला हो गई। थोड़ी देर तक तो वह लड़के की हरकत को चुपचाप देखती रही। पर जब लड़के ने ताड़ना बंद नही किया तब शिवी जोर जोर से बोलने लगी। "के बात है भाई....! ऐसे टुकर टुकर काहे घूर रहा है..... आंखों में कुछ कमी है तो उनका इलाज करवा ना..! यहां कोई डॉक्टर नहीं है। अगर मैंने इलाज कर दिया तो फिर कुछ देखने लायक नहीं बचेगा तू।" शिवी की बात सुन वह लड़का सकते में आ गया क्योंकि शिवी देखने से लड़के जैसी ही लगती है।
शिवी की इन हरकतों पर आशी हँसने लगी। उसे इस तरह से हंसता हुआ देख शिवी बोली। "तुझे पता था ना, वह तुझे घूर रहा है। फिर भी तू कुछ नहीं बोली......... क्यों?" शिवी ने उसे घूरते हुए पूछा।
"मुझे पता था तू उसे छोड़ने वाली तो नही है। क्यों बेचारे को दो दो बार सुनाया जाए!" इतना कहते ही आशी मुस्कुरा दी और कुछ याद करते हुए बोली। "वैसे भी अभी हमें जयपुर पहुंचने में टाइम है क्यों ना पुरानी बातें ही याद कर ली जाए।"
"हां क्यों नहीं, पर कौन सी यादें?" शिवी ने अपना सिर खुजाते हुए कहा।
"वही जिसमें तुझे गर्लफ्रेंड मिल गई थी।" आशी की इतनी बात सुनकर शिवी भी हँसने लगी।
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शिवांशिका (अर्थ शिव का हिस्सा) शुक्ला और आर्शिया आर्य दोनों एक दूसरे की कॉलेज से फ्रैंड है। जो एक दूसरे की बहन की तरह परवाह करती थी। दोनों हर जगह साथ रहती थी। साथ रहने के साथ साथ उनका घर भी एक ही कॉलोनी में था जिसकी वह से उन्हें मिलने में आसानी रहती। एक दिन शाम के वक्त शिवी आशी के घर के बाहर खड़ी हुई जोर जोर से चिल्ला रही थी।
"ऐ आशी.....जल्दी बाहर आ हमें घूमने भी जाना है। कितनी देर से मै तेरा वैट कर रही हूं। जिंदा भी है या मर वर गई......" शिवी हाथ में बॉटल लेकर उछल उछल कर आशी को देखने की कोशिश कर रही थी। तभी उसकी नजर सामने वाली बिल्डिंग की बालकनी पर जाकर रुक गई जहां इस वक्त एक सुंदर लड़की खड़ी हुई उसे ही निहार रही थी। जैसे ही शिवी की नज़र उसके ऊपर पड़ी वैसे ही उसने आंख मार दी। वह कोई रिएक्ट कर पाती उससे पहले ही आशी नीचे आ गई। और दोनों वहां से चली गई।
रास्ते में शिवी ने आशी से पूछा । "सामने वाली बिल्डिंग में नए किराएदार आए है क्या?"
"क्यों क्या हुआ?" आशी ने अजीब सा मुंह बनाते हुए पूछा।
"कुछ भी नही। ऐसे ही पूछा था।" शिवी ने बात को टालते हुए कहा।
"हां आई तो है और उनकी जो बेटी है वो बहुत ही सुन्दर है। "आशी ने समान्य भाव से जवाब दिया और फिर शिवी की तरफ पलटते हुए शरारती अंदाज में आगे बोली। "क्या हुआ वो लड़की तुझे ही खड़े होकर ताड़ रही थी?" इतने कहते हुए आशी ने उसको छेड़ने के लिए उसको अपने कंधे से हल्का सा धक्का दिया।
इतना सुनते ही शिवी हड़बड़ा गई और उसने हड़बड़ाते हुए जवाब दिया। "न...नही! वो मुझे क्यों देखेंगी मैं कौन सा लड़का हूं।" इतना कहते ही शिवी दांत दिखाने लगी।
"मैडम जी वो मुझे मालूम है कि तुम लड़की हो। अनजान लडकियों को नही पता, वे तुम्हें लड़का ही सोचती है। बच कर रहना इस नई किरायदार से कही लेने के देने ना पड़ जाए......." इतने कहते ही आशी हँसने लगी और शिवी बच्चों की तरह मुंह बनाने लगी।
"ऐसा कुछ भी नही होने वाला।"
"वो तो देख लेंगे।" इतना कहते ही दोनों पार्क की तरफ चली गई।
आशी और शिवी जब भी पार्क जाने लिए शाम को घर से बाहर जाती उसी वक्त वह लड़की अपने घर की बालकनी में आकर खड़ी हो जाती और शिवी को देखने लगती। ये सब अब रोज का एक हिस्सा सा बन गया था। वह लड़की शिवी से मिलने के बहाने ढूंढती कभी किसी काम से तो कभी किसी काम से।
"तुझे उसे बता देना चाहिए कि तू लड़का नहीं लड़की है। ये मुझे कुछ सही नही लग रहा।" आशी ने परेशान होते हुए कहा।
"बताऊंगी भी तब ना जब ऐसा कुछ होगा। वैसे भी उसने आज तक कुछ कहा तो है नही। अगर कुछ कहेंगी तो बता दूंगी।" शिवी ने आसमान की तरफ जवाब देते हुए कहा।
"वह किसी ना किसी बहाने तुझ से मिलने आ जाती है और तू कहती है कि जब कुछ कहेंगी तभी बताएंगी। कमाल की लड़की है रे तू......।" आशी ने शिवी को घूरते हुए कहा।
"अरे कुछ नही होगा। तू टेंशन ना ले।" इतना कहते ही शिवी हंस दी।
एक दिन शिवी और आशी बाइक पर बाहर से कॉलोनी में आई थी कि वह लड़की बाइक के सामने आ कर खड़ी हो गई। उसके इस तरह से आगे आने की वजह से शिवी को बाइक में ब्रेक लगाने पड़े और वह गुस्सा होते हुए बोली।
"मरने का इरादा है?" इतना कहते ही शिवी और आशी दोनों बाइक से उतर गई।
"मर तो मैं पहले ही गई जब से मैंने तुम्हें देखा है।" इतना कहते ही लड़की शरमाने लगी।
आशी शिवी के कान में फुसफुसाते हुए बोली।"ये लड़की तो फुल फिल्मी निकली। मुझे कुछ सही वाइब्स नही आ रही।" इतना कहते ही वह चुप हो गई।
"मतलब.......?" शिवी ने आंखे फाड़ते हुए पूछा।
"कितने भोले हो तुम?" इतना कहते ही लड़की हँसने लगी और फिर आगे बोली। "जिस स्कूल में मैं पढ़ती थी वहां का हर एक लड़का मेरे पीछे पागल था पर उनमें से मुझे आज तक कोई भी पसंद नही आया। पर तुम पहली नजर में ही पसंद आ गए हो। जब से मैंने तुम्हें देखा है मन करता है बस तुम्हें भी देखती रहूं। पर जब मैं तुम्हें इस लड़की के साथ देखती हूं तो मेरा खून खौल जाता है। मन करता है कि मैं इसका ...। इतना कहते ही वह चुप हो गई।
"कहना क्या चाहती हो तुम.....?" शिवी ने घूरते हुए पूछा।
"यही कि मै तुम से प्यार करती हूं।" लड़की ने जवाब दिया।
"पागल हो गई हो? मेरी ऑलरेडी एक जीएफ है..... मै उसी से प्यार करता हूं.......!" इतना कहते ही शिवी ने आशी को गले लगा लिया जिसे देखकर वह लड़की जल भुन गई।
"मै इस से ज्यादा खूबसूरत हूं और अपने मां बाप की इकलौती औकाद हूं......" इतना कहकर कर वह अजीबों गरीब हरकतें करनी लगी जिस से साफ पता चल रहा था कि वह अपने मां बाप की बिगड़ी हुई औलाद है।
"बस करो बहन कुछ नही बोल रहे तो इसका मतलब तुम कुछ भी बोल सकती हो.....? मुझे बस ये ही लड़की पसंद है।" शिवी ने सीधा सीधा जवाब दिया।
"बहन कौन ....? जो तुम्हारे साथ है वो होगी तुम्हारी बहन।" लड़की ने भड़कते हुए कहा।
शिवी आगे कुछ नहीं बोली और आशी को वहां से लेकर चली गई। उन दोनों ने सोचा कि वह आगे से ऐसा कुछ नही करेगी पर उस लड़की की हरकतों में कोई सुधार नहीं आया। जब बात हद से ज्यादा आगे बढ़ गई तो शिवी को सच बताना ही सही लगा। एक दिन वह लड़की गुलाब लिए हुए शिवी के सामने खड़ी हुई थी। वह कुछ बोल पाती शिवी उस से पहले ही बोल पड़ी।
"अंकिता........ तुम्हारी फीलिंग्स हर्ट हो या तुम्हारी फीलिंग्स मुझे लेकर हाई हो उस से पहले ही मैं तुम्हें एक जरूरी बात बता देती हूं कि मै कोई लड़का नहीं लड़की हूं........" शिवी आगे कुछ बोल पाती उस से पहले अंकिता बोल पड़ी। "ये कैसा मजाक कर रहे हो तुम....? तुम्हें मै पसंद नही तो सीधे सीधे बोल दो पर ये मत बोलो कि तुम लड़की हो।" अंकिता झुंझला कर बोली।
"नही.....ये ही सच है।" शिवी ने समझाते हुए कहा।
"कोई बात नही मैं ऐसे ही तुम्हारे साथ रह लूंगी।" अंकिता ने जवाब दिया।
"क्या....?" शिवी आश्चर्यचकित होते हुए बोली।
"कुछ नही।" इतना कहते ही अंकिता वहां से चली गई।
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"सच में यार आशी! लड़की थी तो बहुत सुंदर एक बार को मेरा मन किया काश मैं लड़का ही होता।" शिवी ख्याली पुलाव पकाते हुए बोली।
"बस कर....फिर तू जिएफ की गुलाम होती।" इतना कहते ही आशी हँसने लगी। और फिर आगे बोली। "अंकिता को हमारी बात का यकीन नही हुआ था तो उसने सीधा जाकर तेरी मम्मी से ही पूछ लिया और आंटी ने भी बहुत दिनों तक इस बात को लेकर तेजी कितनी खिंचाई की।"
"हां......बहुत अच्छे से याद है और ये भी याद है कि अंकिता बहुत दिनों तक घर से बाहर भी नही निकली थी। " इतना कहते ही दोनों हँसने लगी।
बातचीत में उन दोनों को पता ही नही चला कि कब स्टेशन आ गया। स्टेशन से उतर कर वें दोनों सीधा कोचिंग सेंटर चली गई। वहां की फार्मल्टीज़ पूरी करने के बाद वें दोनों सीधा पीजी चली गई।
"मैम चेक कर लीजिए कोई तो रूम खाली होगा।" आशी ने परेशान होते हुए कहा।
"नही बेटा ..... यहां तो दूर किसी हुई पीजी में कोई भी रूम खाली नही है। इस बार काफी ज्यादा स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है। तो कोई भी रूम खाली नही बचा।" सामने बैठी हुई औरत ने खेद प्रकट करते हुए कहा।
बहुत देर तक मगजमारी करने के बाद भी उन दोनों को वहां कोई रूम नही मिला जिसके बाद दोनों अपना सामान उठाकर वहां से चल दी।
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आगे क्या होगा .? जानिए अगले भाग में .........
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आँचल सोनी 'हिया'
24-Aug-2022 08:21 PM
Achha likha hai aapne 🌺🙏
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Aug-2022 07:49 PM
हम्म! पता है आगे क्या होगा🤣 शिवि को तो क्यूट लड़का समझकर कोई लड़की अपने साथ pg में रहने देगी। आशी ऐसे ही बाहर रह जायेगी। मजाक खत्म! आगे जो भी होगा, वह भी सस्पेंस और कॉमेडी से भरा होगा। यह भाग भी कॉमेडी से भरा था। रोचक भाग था।👌
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Alfia alima
24-Aug-2022 07:47 PM
Nice
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